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जानिए छठ महापर्व की खास जानकारी

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छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है।

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ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं।

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बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति कि एक छोटी सी झलक दिखाता हैं।

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 ऐसा माना जाता है कि माता सीता ने मुंगेर (बिहार) में छठ पर्व मनाया था।

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इसके बाद ही छठ महापर्व की शुरुआत हुई।

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 इसीलिए मुंगेर और बेगूसराय में छठ महापर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है

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बिहार मे हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस पर्व को इस्लाम सहित अन्य धर्मावलम्बी भी मनाते देखे जाते हैं।

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धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्वभर में प्रचलित हो गया है।

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छठ पूजा सूर्य, प्रकृति,जल, वायु और उनकी बहन छठी म‌इया को समर्पित है

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छठी मैया, जिसे मिथिला में रनबे माय भी कहा जाता है

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भोजपुरी में सबिता माई और बंगाली में रनबे ठाकुर बुलाया जाता है।

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मिथिला में छठ के दौरान मैथिल महिलाएं, मिथिला की शुद्ध पारंपरिक संस्कृति को दर्शाने के लिए बिना सिलाई के शुद्ध सूती धोती पहनती हैं

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त्यौहार के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं।

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भारत एक मात्र देश है जहां छट पर्व के अवसर पर डूबते सूर्य की पुजा की जाती है 

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इस वर्ष कार्तिक महीने यानि नवंबर  के अंत मे 17 तारीख से छट पर्व की शुरुआत होगी

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छठ पर्व का पहला दिन (17 नवंबर ) जिसे ‘नहाय-खाय’ के नाम से जाना जाता

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छठ पर्व का दूसरा दिन जिसे खरना (18 नवंबर) के नाम से जाना जाता है 

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छठ पर्व का तीसरा दिन जिसे संध्या अर्घ्य ( 19 नवंबर ) के नाम से जाना जाता है

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छठ पर्व का चौथे दिन (20 नवंबर ) की सुबह उदियमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

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व्रत रखने वाली महिलाओं को  परवैतिन कहा जाता है।

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चार दिन चलने वाले इस छठ उत्सव  एक कठिन तपस्या की तरह है।

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चार दिनों के इस व्रत में व्रति को लगातार उपवास करना होता है।

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छठ पर्व क्यूँ मनाया  जानिए जाता है  जानिए पूरी जानकारी हिन्दी मे