Friday, November 22, 2024
HomeGuest Postभाषा की पहचान एक प्रेरणादायक कहानी । Motivational Hindi story

भाषा की पहचान एक प्रेरणादायक कहानी । Motivational Hindi story

दोस्तों दोस्तों अक्सर कम बोलने वाले लोग चर्चित नहीं होते लेकिन कम बोल कर अच्छा बोलने वाले को सभी याद रखते है। पेश है एक ऐसे ही बेहद संदेशात्मक कहानी जो आपको ये भी बताएगी की अगर आपको कुछ बोलना है तो आपको पहले सुनना सीखना होगा । आपसे आग्रह है की आप इसे पूरा पढे -भाषा की पहचान एक प्रेरणादायक कहानी । Motivational Hindi story

भाषा की पहचान एक प्रेरणादायक कहानी । Motivational Hindi story

ये कहानी शुरू होती है एक हाइ प्रोफ़ाइल गहलोत परिवार से जहां दौलत और शोहरत की कोई कमी नहीं है दौलत इतनी की कई परिवारों का भरण पोषण सालों तक हो सके लेकिन इतना कुछ होते हुये भी कमी थी तो थोड़ी संस्कारों की जिसे न दौलत से खरीदा जा सकता न शोहरत से तौला जा सकता है । गहलोत परिवार मे मिस्टर और मिस्सस गहलोत के आलवे उनके एक लौती पुत्री रीतिका थी जो बेहद खूबसूरत और बेहद तेज दिमाग वाली थी पढ़ाई मे हमेशा अवल्ल आने वाली रीतिका को अपने पिता के दौलत पर बेहद घमंड था वो अक्सर अपने मित्रो के बीच अपने अमीरी होने का बखान इस तरह करती मानो आईना खुद अपनी शक्ल देख रहा हो…….खुद की कितनी भी गलती हो किसी से माफी मांगना उसके शान के खिलाफ था ……इस प्रकार रीतिका अपने एशों आराम जिंदगी के साथ जीने लगी……पिता की लाड़ली रीतिका स्कूल से कॉलेज लाइफ की ओर बढ़ती गई…..पढ़ाई मे अवल्ल और पिता की शोहरत ने उसे शहर के सबसे बड़े कॉलेज मे दाखिला दिलवा दिया……यही से शुरू हुई गहलोत साहब की एकलौती पुत्री रीतिका के जीवन का सबसे बड़ा बदलाव……..
 
चूंकि रीतिका हाइ प्रोफ़ाइल परिवार से संबंध रखती थी इसलिए उससे हर कोई परिचित था….वक्त बितता गया रीतिका पढ़ाई के हर पड़ाव को पार करती गई कई दोस्त मिले कुछ पीछे रह गए कुछ साथ चलते गए …..लेकिन एक वक़्त ऐसा वक़्त ऐसा आ गया जहां से रीतिका के जीवन मे तीखा मोड़ आ गया …..
हर दिन की तरह उस दिन भी रीतिका कॉलेज गई उस दिन कॉलेज मे प्रत्येक वर्ष होने वाली डेबेट प्रतियोगता का आयोजन होने वाला था बीते 3 वर्षो से रीतिका ही इस प्रतियोगता जीतती आ रही थी क्लास की सभी लड़के लड़कियां इसमे भाग लेती थी….लड़कियों मे रीतिका प्रभारी थी और लड़को मे रजत अपने दल का नेतृत्व कर रहे थे……..प्रतियोगिता की शुरुआत होती है ….शुरुआत से ही रीतिका सब पर भारी दिख रही थी लेकिन जैसे जैसे डिसकसन आगे बढ़ता गया प्रतियोगिता से रीतिका की पकड़ जाती गई……अपने प्रतिद्वंदी रजत के बेबाक बोल और सहनशीलता देखकर वो दंग रह गई ….और अंत ये हुआ की रीतिका का ग्रुप ये प्रतियोगिता हार गई…..पहले बार ऐसा हुआ की रीतिका को किसी ने इतनी शालीनता से उसके नाक के नीचे से ये प्रतियोगिता जीत ली हो….उसे सदमा सा लग गया वो गुमसुम और शांत सी रहने लगी….जब भी कॉलेज आती रजत अक्सर उसके सामने आ जाता….लेकिन रीतिका मुह फेर कर चली जाती …….
 
रजत एक माध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखता था। शांत चित,सहज भाव और बेहद गंभीर रहने वाला रजत परिवार का चहिता और अपने पिता का संस्कारी पुत्र था ।
 
वक़्त बीतता गया रीतिका उस दिन के बाद से बिलकुल शांत सी रहने लगी शायद उसे उस हार से बेहद ठेस पहुंची थी…..और जब भी वो रजत को देखती उसकी मन की आग और भड़क जाती थी ……और रजत भी उसका ये स्वभाव देख कर बेहद आश्चर्य था …..रजत को लगा की शायद इसका कारण कहीं न कहीं मैं हु इसलिए उसने रीतिका से माफी मांगने का सोचा …..और अगले दिन कॉलेज गया …..
 
रीतिका सामने से आती है और आते ही मुह फेर कर जाने लगती है रजत उसे रोकता है …………..रीतिका!!!….प्लीज मेरी बात तो सुनो ……रीतिका !!!…….लेकिन वो बिना सुने चली जाती है ….
ऐसा कई दिन होता है लेकिन रीतिका उसे बात नहीं करती शायद रीतिका का घमंडी स्वभाव उसे ऐसा करने नहीं देता……एक दिन रीतिका जवाब देती है ………….क्या है क्यूँ मुझे परेशान कर रहे हो……क्यूँ …..रजत- मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हु सुन तो लो …..रीतिका —– हाँ बोलो क्या बकना है तुम्हें ……रजत — यार यहाँ नहीं तुम प्लीज कॉलेज के गार्डेन मुझे मिलो …..रीतिका नहीं मिलना बेकार मे मुझे ….ये कहते हुये वो चली गई ……रजत चिल्लाते हुये —– मैं इतजार करूंगा 3 बजे …बात बेहद जरूरी है ….रीतिका सुन लेती है लेकिन बिना जवाब दिये चली जाती है ….

देखते ही देखते 3 बज जाते है …..रजत पार्क के और रीतिका कॉलेज से बाहर निकलते हुये …..रीतिका ने घड़ी देखी तो ठीक 3 बज रहे थे …और पार्क की और देखा तो रजत वहाँ खड़ा उसका इंतजार कर रहा था …..रीतिका थोड़ी देर रुकी और लंबी सांस लेते हुये पार्क की और चल पड़ी ……
 
रीतिका —— बोलो क्या बात है क्यूँ बुलाया मुझे यहाँ ……रजत—मुझे पता था तुम आओगी ……हाँ हाँ वो सब ठीक है क्यूँ बुलाया ये बताओ ….रीतिका अपने घमंडी अंदाज मे बोलते हुये …..
 

रजत —-उस दिन प्रतियोगता के बाद तुम बेहद शांत रहने लगी हो शायद उसका कारण मैं हूँ,…….इसलिए मैं तुमसे माफी मांगना चाहता हूँ……..मुझे नहीं पता तुम क्यूँ हारी और मैं क्यूँ जीता…..शायद उस दिन मुझमे तुमसे अधिक आत्मविश्वास और प्रतियोगिता जीतने की ललक थी और तुममे मुझसे अधिक आत्मविश्वास और प्रतियोगिता जीत जाने का पूरा विश्वास था …..तुम कहना क्या चाहते हो मैं कमजोर हूँ,मुझे ज्ञान नहीं हाँ ….रीतिका झल्लाते हुये कहती है…..अरे नहीं रीतिका तुम्हारी यही तो प्रॉबलम है तुम बोलती अच्छा हो लेकिन सुनती नहीं और सुनती भी हो तो समझती नहीं……रजत समझते हुये कहता है …….तुम्हें याद है उस दिन प्रतियोगिता के शुरू से ही तुम आगे थी लेकिन अंत आते आते तुम हार गई और मैं जीत गया,पता है क्यूँ…….क्यूँ बताओ….रीतिका गंभीरता से पुछती हुई …..शुरुआत से ही तुम बेहद कॉन्फिडेंट थी और हो भी क्यूँ न तुम दो साल की चेम्पियन जो थी,तुमने ये सोच लिया था की ये कोंपिटिसन तो मैं ही जितुंगी और जीत भी रही थी ….लेकिन तुमने ये नोटिस नहीं की की इस प्रतियोगिता मे एक जज भी थे जो हर लेवल के बाद एक हिंट्स देते थे ……जो इस डेबेट के मजबूत टॉपिक बनाए मे मदद करती थी……मैंने प्रतियोगिता के लिए कोई खास तैयारी नहीं की थी ….लेकिन मैं हर लेवल के बाद जज की हिंट्स को ध्यान से सुनता था और उसे डेबेड का हिस्सा बनाकर डेबेड करता था…. प्रतियोगिता के गरिमा को कायम रखते हुये मैंने इसे पूरा किया , लेकिन तुमने न सुनी न देखी और न ये समझ पाई जीतते जीतते तुम हार कैसे गई ….जब तक तुमने प्रतियोगिता को खुद से ऊपर रखा तुम जीतती गई लेकिन जब खुद उससे आगे निकल गई तो तुम हार गई…….रीतिका चुप चाप रजत की बातें सुनती गई और उसे ऐसा लगा जैसे वो किसी बर्फीले रेगिस्तान के गर्म रेत के बीच फसी हो जहां बर्फ की सिकन और रेत की जलन दोनों महसूस हो रही हो ……रीतिका तुम एक होनहार और अच्छी लड़की हो,जितना हारना तो जिंदगी मे लगी रहती है लेकिन अगर उस हार जीत से किसी को ठेस पहुंचे तो ऐसे जीतने का क्या फायदा….मैंने तुम्हें ठेस पहुंचाया मुझे माफ कर दो …..ये कहते हुये रजत जाने लगा ……रीतिका बोली….रुको रजत…मुझसे मुबारकबाद नहीं लोगे……
 
शायद रीतिका को एहसास हो गया की इंसान चाहे कितना भी घमंडी और अमीर हो जाए संस्कार और शालीनता के आगे गरीब और लाचार ही है…
जरूर पढे – Motivational Hindi story
अगर रीतिका उस दिन अपने आत्मविश्वास को कायम रखते हुये जज की बात पर ध्यान देती और बारीकी से सुनती समझती और तब बोलती तो शायद वो जीत जाती.
 
इसलिए दोस्तो जीवन मे आप अच्छा वक्ता तभी बन पाएंगे जब आप एक अच्छा श्रोता बनेंगे । 
क्यूंकि आपके बातों का आपके बोल का मोल आपसे भी अधिक है 


Story By – Angesh Upadhyay
Presented By – Knowledge Panel
Interesting Hindi Article पढ़ने के लिए Visit करे www.knowledgepanel.in
Knowledge Panel
Knowledge Panelhttps://www.knowledgepanel.in
मेरा नाम अंगेश उपाध्याय है मैं Knowledge Panel का Author और एक Professional Blogger हूँ, इस ब्लॉगिंग वेबसाइट मे आप ब्लॉगिंग ,नई तकनीक, ऑनलाइन पैसे कमाने के तरीके और अन्य कई तरह की जानकारी हिन्दी मे प्राप्त कर सकते है । हमारा मकसद आपको बेहतर जानकारी देना है इसलिए यहाँ आपको वो जानकारी मिलेगी जिसे जानना जरूरी हो ।
RELATED ARTICLES

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

https://thesmartindia.in/series-board-se-diode-ko-kaise-check-kare-how-to-check-diode-without-mulimeter/ on एफ़िलिएट मार्केटिंग Marketing क्या है Affiliate Marketing in Hindi
प्रियंका बाजपेयी on World Milk Day Drink Milk and increase your immune system