धरती का स्वर्ग कहे जाने वाला भारत की खूबसरत राज्य जम्मू कश्मीर पुरे दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है हर कोई रहना चाहता है इस शहर में लेकिन हर कोई नहीं रह सकता इस खूबसूरत शहर में तो आइये जानते है क्या आप रह सकते है अपने ही देश भारत के इस खूबसूरत शहर में ?
भारतीय संविधान में अपना विशेष स्थान रखने वाला यह राज्य का अपना कानून है आइये जानते है कुछ महत्वपूर्ण नियम,धाराएं ,एक्ट जो जम्मू कश्मीर में लागु है। इन्हीं नियमो और धारा में एक धारा है 370 और 35 A जो भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद लागू की गई
क्या है धारा 370? जानिए इसकी विस्तृत जानकारी
- जम्मू कश्मीर को इस धारा के अंतर्गत कुछ विशेष दर्जा प्राप्त है जो भारत के बांकी राज्यो को नहीं है ।
- जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है।
- जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जायेगी। इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी।
- जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का यहां कोई महत्व नहीं है ।
- जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है।
- कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है। इस कानून के अंतर्गत महिलाओ को कोई विशेष अधिकार नहीं प्राप्त है । इस कानून के अंतर्गत मुसलमानों के घरेलू, पारिवारिक, उसमें भी खासकर शादी, तलाक, बच्चों से संबंधित मामलों और पति-पत्नी, माता-पिता के बीच सभी मामलों का शरीयत कानून के हिसाब से ही समाधान निकाला जाता है। भारतीय कानून उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। इस्लामिक समाज इसी शरीयत कानून या शरीया कानून के हिसाब से चलता है।
- कश्मीर में पंचायत को अधिकार प्राप्त नहीं है।
- जम्मू – कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
- भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं।
- भारत की संसद को जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है।
- धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई (RTI) और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते है।
- कश्मीर में चपरासी को 2500 रूपये ही मिलते है।
- कश्मीर में अल्पसंख्यकों [हिन्दू-सिख] को 16% आरक्षण नहीं मिलता।
- धारा 370 की वजह से कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
- धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है।
- धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये।
- इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।
- 1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता। इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते। लेकिन अगर वहाँ के निवासी किसी अन्य राज्यो मे जमीन लेना चाहे तो वो धारा 370 के तहत निजी कार्य के लिए जमीन ले सकता है ।
- भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती।
कैसे शुरुआत हुई इस धारा की ?
आजादी से पहले पाकिस्तान और भारत दोनों एक थे लेकिन जब पाकिस्तान और हिंदुस्तान का बटवारा हुआ तो उस दौरान जम्मू कश्मीर की सत्ता राजा हरीसिंह के हाथ मे थी वो कश्मीर का पूर्ण रुपेण स्वतंत्रा चाहते थे लेकिन उसी दौरान पाकिस्तानी देश के समर्थक कालीबाइ ने जम्मू कश्मीर पर भरी आक्रमण कर दिया और राजा के सामने प्रस्ताव रखा की वो पाकिस्तान मे शामिल हो जाए । उस दौरान ही भारतीय संविधान सभा मे गोपालस्वामी अयांगर ने धारा 306 A को पेश किया जो बाद मे 370 मे तब्दील हो गई और 26 जनवरी 1957 को इस विशेष धारा को लागू कर दिया गया जिसके साथ ही जम्मू कश्मीर को भारत के अन्य राज्यो के अपेक्षा अलग अधिकार प्राप्त हुये ।
अब जानिए क्या है धारा 35 A?
- यह धारा 370 का ही हिस्सा है जिसे अनुच्छेद 35A कहा गया है जिसे भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद 14 मई 1954 को लागू किया था। इस आदेश के राष्ट्रपति द्वारा पारित किए जाने के बाद भारत के संविधान में इसे जोड़ दिया गया।इस धारा के तहत जम्मू-कश्मीर के अलावा भारत के किसी भी राज्य का नागरिक जम्मू-कश्मीर में कोई संपत्ति नहीं खरीद सकता इसके साथ ही वहां का नागरिक भी नहीं बन सकता।
- इस संविधान के मुताबिक स्थायी नागरिक वो व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो. साथ ही उसने वहां संपत्ति हासिल की हो।
- अनुच्छेद 35A से जम्मू-कश्मीर सरकार और वहां की विधानसभा को स्थायी निवासी की परिभाषा तय करने का अधिकार मिलता है. इसका मतलब है कि राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दे अथवा नहीं दे।
- अनुच्छेद 35A के मुताबिक अगर जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं. साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं।
यानि अगर आप धरती के जन्नत मे रहना चाहते है तो आपको 10 वर्ष पहले जाकर फिर से जन्म लेना होगा जो संभव नहीं है ।
दोस्तो बीते कुछ दिनों से सभी राजनीतिक दलों ने इसे हटाने की बात कर रही है आइये जानते है क्यौ हटाया जा रहा है इस अनुच्छेद को ।
क्यों हटाया जा रहा है?
इसे खत्म करने की बात इसलिए हो रही है क्योंकि इस अनुच्छेद को संसद के जरिए लागू नहीं किया गया है, दूसरा कारण ये है कि इस अनुच्छेद के ही कारण पाकिस्तान से आए शरणार्थी आज भी राज्य के मौलिक अधिकार और अपनी पहचान से वंचित हैं।
शायद इसीलिए कश्मीर मे पाकिस्तानियों ने अपना अधिकार आसानी से जमा लिया है ।
Click and Read – End of Article 370 and 35A
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