गर्मी का मौसम आ चुका है और इस दौरान लू व अत्यधिक गर्मी,पानी की कमी के वजह से लोग बीमार भी होने लगते है बीते कुछ सालो से भारत के कई राज्य खास कर बिहार राज्य मे इस दौरान चमकी बुखार (Encephalitis) का कहर देखने को मिला । आपको याद होगा बीते वर्ष बिहार के मुजफ्फरपुर और इसके आस पास के इलाको मे चमकी बुखार का प्रकोप हो रहा था बीते वर्ष तकरीबन 150 से भी ज्यादा बच्चे की मौत हुई थी जिनकी उम्र तकरीबन 15 वर्ष तक बताए गए थे । ये प्रकोप दिनों दिन फैलती जा रही थी यहाँ के अस्पताल पीड़ित बच्चो से भरा पड़ा था बेहद भयावह मंजर देखा जा रहे है। इसके पीछे मुजफ्फरपुर का विश्वप्रसिद्ध लीची को वजह माना जा रहा था। तो आइए जानते है क्या होता है चमकी बुखार (Chamki Bukhar),कैसे फैलता है इसके इलाज बचाव की पूरी जानकारी
चमकी बुखार (Chamki Bukhar) क्या है
चमकी बुखार को दिमागी और जापानी बुखार के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चमकी बुखार को डॉक्टरी भाषा में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) या Encephalitis कहा जाता है। अब तक उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और उसके आस-पास जिलों से दिमागी बुखार से बच्चों की मौत होने के मामले सामने आते थे लेकिन पहली बार बीते साल बिहार के मुजफ्फरपुर एवं अन्य जिलों में चमकी बुखार ने अपना रौद्र रूप दिखाया है ।
यह बीमारी आम तौर गर्मी एवं उमस के दौरान 0 से 15 साल के बच्चों को अपनी चपेट में लेती है। खास बात यह है कि यह बीमारी ज्यादातर उन बच्चों को अपनी चपेट में लती है जो कुपोषित होते हैं। कई मामलों में इस चमकी बुखार का कारण लीची खाना भी बताया गया है। चिंता की बात यह है की इतने गंभीर रूप से फैलने के बाद भी चिकिसक इस बीमारी को रोकने मे असमर्थ दिख रहें है और नतीजा ये हो रहा है की इलाज के अभाव मे बच्चे मौत के मुह मे समा रहे है ।
Doctors के अनुसार हर्प्स वायरस, इंट्रोवायरस, वेस्ट नाइल, जापानी इंसेफलाइटिस, इस्टर्न इक्विन वायरस, टिक-बोर्न ,इंसेफलाइटिस बैक्टीरिया, फुंगी, परजीवी, रसायन, टॉक्सिन ये कुछ ऐसे Virus है जिसके वजह से चमकी बुखार बच्चे के मस्तिष्क के कोशिकाओं एवं तंत्रिकाओं में सूजन आ जाती है जिसे दिमागी बुखार होने लगता है जिसमे बच्चे के पूरे शरीर मे अकड़न सी होने लगती है भारत में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम(AES) यानि चमकी बुखार का मुख्य वजह जापानी वायरस को माना जाता है।
लीची खाने से क्यूँ होती है चमकी बुखार(Chamki Bukhar)
लीची को इसकी खास वजह इसलिए बताई जा रही है की जो बच्चे कुपोषण का शिकार है वो अक्सर भूखे पेट कुछ पक्के और अधपके लीची का सेवन कर रहे है और खास बात ये है की जिस इलाके (मुजफ्फरपुर) मे चमकी बुखार का सबसे अधिक कहर है वह पूरी दुनिया मे लीची के लिए प्रसिद्ध है ।
दरअसल लीची में प्राकृतिक रूप से हाइपोग्लाइसिन ए एवं मिथाइल साइक्लोप्रोपाइल ग्लाइसिन टॉक्सिन पाया जाता है। अधपकी लीची में ये टॉक्सिन अपेक्षाकृत काफी अधिक मात्रा में मौजूद रहते हैं। ये टॉक्सिन शरीर में बीटा ऑक्सीडेशन को रोक देते हैं और हाइपोग्लाइसीमिया (रक्त में ग्लूकोज का कम हो जाना) हो जाता है एवं रक्त में फैटी एसिड्स की मात्रा भी बढ़ जाती है। चूंकि बच्चों के लिवर में ग्लूकोज स्टोरेज कम होता है, जिसकी वजह से पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज रक्त के द्वारा मस्तिष्क में नहीं पहुंच पाता और मस्तिष्क गंभीर रूप से प्रभावित हो जाता है। इस तरह की बीमारी का पता सबसे पहले वेस्टइंडीज में लीची की तरह ही ‘एकी’ फल का सेवन करने से पता चला था। इसलिए ध्यान रखे बच्चों को खाली पेट लीची ना खिलाए।
चमकी बुखार (AES) के लक्षण
What is the symptoms of spinal fever
- मिर्गी जैसे झटके आना (जिसकी वजह से ही इसका नाम चमकी बुखार पड़ा)
- बेहोशी आना
- सिर में लगातार हल्का या तेज दर्द
- अचानक बुखार आना
- पूरे शरीर में दर्द होना
- जी मिचलाना और उल्टी होना
- बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस होना और नींद आना
- दिमाग का ठीक से काम न करना और उल्टी-सीधी बातें करना
- पीठ में तेज दर्द और कमजोरी
- चलने में परेशानी होना या लकवा जैसे लक्षणों का प्रकट होना।
अगर बच्चे को बुखार आ जाए तो क्या करें
- बच्चे को तेज बुखार आने पर उसके शरीर को गीले कपड़े से पोछते रहें.ऐसा करने से बुखार सिर पर नहीं चढ़ेगा.
- Paracetamol की गोली या Syrup डॉक्टर की सलाह पर ही रोगी को दें.
- बच्चे को साफ बर्तन में एक लीटर पानी डालकर ORS का घोल बनाकर दें. याद रखें इस घोल का इस्तेमाल 24 घंटे बाद न करें.
- बुखार(Fever) आने पर रोगी बच्चे को दाएं या बाएं तरफ लिटाकर अस्पताल ले जाएं.
- बच्चे को बेहोशी की हालत में छायादार स्तान पर लिटाकर रखें.
- बच्चों को रात में अच्छी तरह से खाना खिलाकर सुलाएं। खाना पौष्टिक होना चाहिए।
- बुखार आने पर बच्चे के शरीर से कपड़े उतारकर उसे हल्के कपड़े पहनाएं. उसकी गर्दन सीधी रखें
क्या न करें
- बच्चे को खाली पेट लीची न खिलाएं.
- अधपकी या कच्ची लीची का सेवन करने से बचें.
- बच्चे को कंबल या गर्म कपड़े न पहनाएं.
- बेहोशी की हालत में बच्चे के मुंह में कुछ न डालें.
- मरीज के बिस्तर पर न बैठें और न ही उसे बेवजह तंग करें.
- मरीज के पास बैठकर शोर न मचाएं.
सावधानी
गर्मी के मौसम में फल और खाना जल्दी खराब हो जाता है आप इस बात का खास ख्याल रखें कि बच्चे किसी भी हाल में जूठे और सड़े हुए फल नहीं खाए। बच्चों को गंदगी से बिल्कुल दूर रखें। खाने से पहले और खाने के बाद हाथ जरूर धुलवाएं,साफ पानी पिएं, बच्चों के नाखून नहीं बढ़ने दें। बच्चों को गर्मियों के मौसम में धूप में खेलने से भी मना करें। रात में कुछ खाने के बाद ही बच्चे को सोने के लिए भेजें। डॉक्टरों की मानें तो इस बुखार की मुख्य वजह सिर्फ लीची ही नहीं बल्कि गर्मी और उमस भी है।
150 बच्चो की मौत का कारण बनी ये बुखार हर वर्ष गर्मी के मौषम मे पूरे देश मे फैलती है हर वर्ष भारत के तकरीबन 18 से भी ज्यादा राज्य बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल मे इस चमकी बुखार यानि Encephalitis से हर वर्ष 20000 बच्चे इस बीमारी के चपेट मे आते है
सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के 24 देश इस Encephalitis बीमारी से ग्रस्त है इसमे दक्षिण-पश्चिम एशिया और पश्चिमी प्रशांत के देश शामिल है WHO (World Health Organisation) के अनुसार इन देशों मे 300 करोड़ लोगो पे इस Virus का खतरा है भारत मे 2011 से अब तक तकरीबन 92000 मामले सामने आए है जिसमे 12000 की मौत हो चुकी है ।
इन सब के बावजूद Doctors अब तक ये पता नहीं लगा पाये की ये Virus आती कहाँ से है और कैसे फैलती है । स्वक्छ्ता ही इसका बचाव है इसलिए स्वक्छरहे और स्वक्छ खाना खाएं और अपने बच्चों को भी स्वक्छ रहने की सलाह दें ।
चमकी बुखार (chamki Bukhar) कितना जानलेवा है ये तो आप समझ ही गए होंगे तो आपको ऊपर बताए गए सुझाव और बचाव को ध्यान मे रखते हुये बस अपने दैनिक जीवन मे कुछ बदलाव करने होंगे तभी आप Chamki Bukhar से बच सकते है ।
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