हैलो दोस्तो वर्ष का अंतिम महिना पर्व त्योहारों से भरा होता है Deshara Diwali,भैया दूज, छठ, Christmas जैसे कई सारे Festivals मे हम सब व्यस्त रहते है । सभी Festival का अपना अलग अलग महत्व है लेकिन इनमे से एक ऐसा पर्व है जो आस्था और साधना का प्रतीक माना जाता है जिसे सभी धर्मो के लोग मानते है सिर्फ भारत मे ही नहीं बल्कि विदेशों मे इस पर्व को धूम धाम से मनाया जाता है जी हाँ हम बात कर रहे है छठ (Chhath) की जो पूर्वी भारत के बिहार और झारखंड से खास तौर पर मनाया जाता है लेकिन वर्तमान मे इसे पूरे देश के अलग अलग राज्यों मे मनाया जाता है chhath puja , 05 नवंबर को शुरू होगी और 08 नवंबर पर समाप्त होगी। Chhath puja kab hai, Chhath puja kyu manaya jata hai ,Chhath 2024
छठ क्यूँ मनाया जाता है (Chhath Puja Kyun Manaya jata hai)
हर वर्ष छठ दो बार मनाया जाता है एक चैत यानि मार्च अप्रेल के महीने मे दूसरा कार्तिक यानि अक्तूबर से नवम्बर महीने के बीच । कार्तिक महीने मे मनाया गया छठ अधिक प्रसिद्ध है भारत के अलग अलग राज्यों मे खास कर बिहार,उत्तर प्रदेश और झारखंड मे धूम धाम से मनाया जाता है । इस पर्व की सबसे खास बात यह है की इसमे उगते सूर्य के साथ साथ डूबते सूर्य की भी पुजा की जाती है ये बेहद खास और आस्था से भरपूर माना जाता है क्यूंकी पूरी दुनिया मे भारत ही एक ऐसा देश है जहां डूबते हुये सूर्य को भी पुजा जाता है ।
कार्तिक मास में सूर्य अपनी नीच राशि में होता है. इसलिए सूर्य देव की विशेष उपासना की जाती है, ताकि स्वास्थ्य की समस्याएं परेशान न करें. षष्ठी तिथि का संबंध संतान की आयु से होता है और सूर्य भी ज्योतिष में संतान से संबंध रखता है.
चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व के पीछे कई सारे पौराणिक कथा प्रचलित है ,
प्रचलित पौराणिक कथा (Chhath Puja)
छठ पूजा की परंपरा कैसे शुरू हुई, इस संदर्भ में कई कथाएं प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार, जब राम-सीता 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तब रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए उन्होंने ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूर्य यज्ञ करने का फैसला लिया। पूजा के लिए उन्होंने मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया। मुग्दल ऋषि ने मां सीता पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया। इससे सीता ने मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहकर छह दिनों तक सूर्यदेव भगवान की पूजा की थी। सप्तमी को सूर्योदय के समय फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था।
छठ पर्व की शुरुआत
हिंदू मान्यता के मुताबिक, कथा प्रचलित है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी। इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू किया था। कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वो रोज घंटों तक पानी में खड़े होकर उन्हें अर्घ्य देते थे। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही परंपरा प्रचलित है।
कैसे करें छठ व्रत
छठ पर्व के बारे में एक कथा और भी है। इस किवदंती के मुताबिक, जब पांडव सारा राजपाठ जुए में हार गए, तब द्रोपदी ने छठ व्रत रखा था। इस व्रत से उनकी मनोकामना पूरी हुई थी और पांडवों को सब कुछ वापस मिल गया। लोक परंपरा के अनुसार, सूर्य देव और छठी मईया का संबंध भाई-बहन का है। इसलिए छठ के मौके पर सूर्य की आराधना फलदायी मानी गई।
पुराणों के अनुसार, प्रियव्रत नामक एक राजा की कोई संतान नहीं थी। इसके लिए उसने हर जतन कर कर डाले, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। तब उस राजा को संतान प्राप्ति के लिए महर्षि कश्यप ने उसे पुत्रयेष्टि यज्ञ करने का परामर्श दिया। यज्ञ के बाद महारानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह मरा पैदा हुआ। राजा के मृत बच्चे की सूचना से पूरे नगर में शोक छा गया। कहा जाता है कि जब राजा मृत बच्चे को दफनाने की तैयारी कर रहे थे, तभी आसमान से एक ज्योतिर्मय विमान धरती पर उतरा। इसमें बैठी देवी ने कहा, ‘मैं षष्ठी देवी और विश्व के समस्त बालकों की रक्षिका हूं।‘ इतना कहकर देवी ने शिशु के मृत शरीर को स्पर्श किया, जिससे वह जीवित हो उठा। इसके बाद से ही राजा ने अपने राज्य में यह त्योहार मनाने की घोषणा कर दी।
इसलिए इस महापर्व मे हम छठी मैया की पुजा अर्चना करते है । चार दिन मे पहला दिन नहाय खाय,दूसरा खरना ,तीसरा सूर्यास्त पूजन और चौथा यानि अंतिम सूर्यदय यानि उगते हुये सूर्य को अर्घ्य देकर इस महापर्व का समापन हो जाता है । इसे बेहद कठिन पर्व कहा जाता है जहां वर्त करने वाले महिला या पुरुष पूरे 36 घंटे तक बिना अन्य जल ग्रहण किए उपवास रखते है ।
आस्था के इस महापर्व का प्रचालन पूरे भारत मे ही नहीं बल्कि विदेशों मे भी देखा जाने लगा है इसे बांस के बने सूप मे पकवानो और फलों कर प्रसाद जिसे अत्यंत गुणकारी और लाभकारी माना जाता है।
इस प्रकार हर वर्ष पूरे भारत मे हर्षो उल्लास के साथ इस महापर्व का आयोजन किया जाता है जसे हिन्दू धर्म ही नहीं बल्कि अन्य धर्म के लोग भी आपस मे मिलकर इसे मनाते है शायद यही खूबी है हमारे देश के सभ्यता-संस्कृति की ।
Chhath Puja Quotes in Hindi
⇒ गेहूं का ठेकुआ, चावल के लड्डू
खीर,अन्नानास, नींबू और कद्दू,
बांटे घर-घर लड्डू और प्यार
शुभ छठ पूजा!
⇒ मंदिर की घंटी, आरती की थाली
नदी के किनारे सूरज की लाली,
जिंदगी में आए खुशियों की बहार।
आपको मुबारक हो छठ का त्योहार!
⇒ आया है भगवान सूर्य का रथ
आने वाला है वपन छठ
मिले आपको सुख और संपत्ति अपार
छठ की शुभकामनाएं करे स्वीकार!
⇒ छठ का मतलब है सूर्य की पूजा,
मिलकर हम सब भगवान सूर्य का
शुक्रिया मानते हैं,
छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं!
⇒ छठी मैया पूर्ण करें आपकी हर मनोकामना,
दिल से हम दे रहे हैं आपको ये शुभकामना
हैप्पी छठ पूजा।
⇒ छठ पूजा आये बनके उजाला,
खुल जाये आपकी किस्मत का ताला,
हमेशा आप पर रहे मेहरबान छठी मैया
छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं!
⇒ छठी मैया पूर्ण करें आपकी हर मनोकामना,
दिल से हम दे रहे हैं आपको ये शुभकामना
हैप्पी छठ पूजा।
⇒ मंदिर की घंटी, आरती की थाली
नदी के किनारे सूरज की लाली,
जिंदगी में आए खुशियों की बहार।
आपको मुबारक हो छठ का त्योहार!
⇒ छठ पूजा आए बनकर उजाला
खुल जाये आप की किस्मत का ताला
हमेशा आप पर रहे मेहरबान ऊपर वाला
यही दुआ करता है आपका ये चाहने वाला
छठ पूजा 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं
⇒ सबके दिलों में हो सबके लिए प्यार
आनेवाला हर दिन लाए खुशियों का त्योहार
इस उम्मीद के साथ आओ भुलाकर सारे गम
छठ पूजा का हम सब करे वेलकम
छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं!
⇒ सद्विचार ,सदाचार, प्रेम और भक्ति,
यही है सूर्य देव को, प्रसन्न करने की शक्ति,
छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं
⇒ चिड़िया बाग में जब चहचाहती है,
गुलशन-गुलशन हो जाती है,
कोयल जब गीत सुनाती है,
हर दिल मधुर हो जाती है,
छठ मां जब प्यार बरसाती है,
सबके जीवन में खुशियां खिल जाती हैं।
छठ पूजा की बधाई
⇒ सात घोड़ों के रथ पर सवार,
भगवान सूर्य आएं आपके द्वार,
किरणों से भरे आपका घर संसार,
छठ आपके लिए बन जाए समृद्धि का त्योहार,
छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं।
⇒ सदा दूर रहो गम की परछाईयों से,
सामना न हो कभी तन्हाइयों से,
हर अरमान हर ख्वाब पूरा हो आपका,
यही दुआ है दिल की गहराइयों से,
छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं।
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