Hello friends आप तो जानते ही है की भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35A को निरस्त कर दिया है ,ऐसे मे अब अगर आप जम्मू कश्मीर मे खुद की जमीन खरीदना चाह रहे है तो अब ये मुमकिन है की आप अपना आशियाना वहाँ बना सकते है जबकि धारा 370 के लागू होने के बाद भारत का कोई भी नागरिक जम्मू कश्मीर मे जमीन नहीं ले सकता था ।
लेकिन भारत मे अब भी कैसे ऐसे राज्य है जहां धारा 370 लागू नहीं है लेकिन फिर भी देश का कोई भी नागरिक इन राज्यों मे खुद की जमीन नहीं खरीद सकता है और ऐसा इसलिए है क्यूंकि इन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा हासिल है और यहाँ धारा 371 लागू है ।
तो आइए जानते है ऐसे कौन कौन से राज्य है? और क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा? और जानिए क्या है धारा 371(अनुच्छेद 371) ?
Knowledge panel पे विस्तृत रूप से ये सारी जानकारी आपको दी जाएंगी अगर आपके पास इससे जुड़े कोई सवाल या सुझाव है तो comment बॉक्स मे हमे बताएं ।
धारा 371क्या है ?
What is Article 371 ?
भारत मे कई ऐसे राज्य है जिन्हे कई विशेष अधिकार प्राप्त है जिसके तहत केंद्र सरकार उन राज्यों के विकास,सुरक्षा एवं सेवाओ आदि के लिए विशेष पैकेज एवं अनुदान देती रहती है दूसरी शब्दो मे यूं कहे की ये राज्य,केंद्र सरकार के विशेष संरक्षण मे रहती है और केंद्र सरकार ये सभी दायित्वों को भारत की सविधान के 21वें भाग मे अस्थाई रूप से लिखित अनुच्छेद 371 के तहत करती है ।
किन राज्यों मे लागू है अनुच्छेद 371 ?
भारत के 11 राज्यों मे ये धारा लागू की गई है जिसे 11 अलग अलग भागों मे बांटा गया है जिसमे अनुच्छेद 371 ,371A, 371B, 371C, 371D, 371E, 371F, 371G, 371H, 371I, 371J शामिल है । और इन राज्यों जैसे महाराष्ट्र और गुजरात नागालैंड असम आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सिक्किम मिजोरम अरुणाचल प्रदेश गोवा कर्नाटक मे ये लागू की गई है ।
जानिए इन सभी भागों की विस्तृत जानकारी
अनुच्छेद 371
संविधान का अनुच्छेद 371 महाराष्ट्र और गुजरात (Maharashtrya and Gujrat) राज्य के लिए है। इसके मुताबिक इन राज्यों के राज्यपाल की यह जिम्मेदारी है कि महाराष्ट्र में विदर्भ, मराठवाडा और शेष महाराष्ट्र के लिए और गुजरात में सौराष्ट्र और कच्छ के इलाके के लिए अलग Development Board (विकास बोर्ड) बनाए जाएंगे,इन बोर्डों का काम इन इलाकों के Developments के लिए एक समान राजस्व का वितरण होगा। साथ ही राज्य सरकार के अंतर्गत technical education (तकनीकी शिक्षा), रोजगारपरक शिक्षा और रोजगार के मौके प्रदान करने की जिम्मेदारी भी इन बोर्ड के ऊपर ही होगी।
Click Here – जानिए क्या है अनुच्छेद 370 और 35 A
अनुच्छेद 371A
ये अनुच्छेद भारत के नागालैंड (Nagaland) राज्य मे लागू है जिसके अनुसार नागालैंड के जमीन पर नागा वासियों का मालिकाना हक हैऔर इससे जुड़े कानून पर केंद्र सरकार का कोई हक नहीं है इसके अलावा नागालैंड के पारंपरिक नियमों ,सामाजिक और धार्मिक रीतिरिवाज,फ़ौजदारी और दीवानी न्याय व्यवस्था पर केंद्र सरकारी कोई कानून नहीं ला सकती जब तक नागालैंड के विधानसभा सदन इस पर फैसला ना सुना दे । इसी अनुच्छेद के तहत नागालैंड के तुएनसांग जिले को भी विशेष दर्जा मिला है, नागालैंड सरकार में तुएनसांग जिले के लिए एक अलग मंत्री भी बनाया जाता है,साथ ही इस जिले के लिए एक 35 सदस्यों वाली स्थानीय काउंसिल बनाई जाती है।
अनुच्छेद 371 B
यह अनुच्छेद असम (Assam) के लिए है,इसके मुताबिक भारत के राष्ट्रपति राज्य विधानसभा की आदिवासी इलाकों से चुन कर आए विधानसभा सदस्य समितियों के गठन कर वहाँ विकास कार्यो मे प्रेरित करेंगे जो कार्यों का सारा लेखा जोखा राष्ट्रपति को देंगे ।
अनुच्छेद 371 C
यह अनुच्छेद मणिपुर (Manipur )के लिए है, इसके मुताबिक भारत के राष्ट्रपति विधानसभा में राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों से निर्वाचित सदस्यों की एक समिति का गठन और कार्य करने की शक्ति प्रदान कर सकते हैं, और इसके काम को सुनिश्चित करने के लिए राज्यपाल को विशेष जिम्मेदारी सौंप सकते हैं। राज्यपाल को इस विषय पर हर साल एक रिपोर्ट राष्ट्रपति के पास भेजनी होती है।
अनुच्छेद 371 D
इस अनुच्छेद को 32वें संशोधन के बाद 1973 में जोड़ा गया जो पहले सिर्फ आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh )के लिए था, लेकिन 2014 में आंध्र प्रदेश के दो हिस्से करने के बाद ये अनुच्छेद आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए लागू हुआ। इसके अंतर्गत इन राज्यों के लिए राष्ट्रपति के पास यह अधिकार होता है कि वह राज्य सरकार को आदेश दे कि किस नियुक्ति मे किस वर्ग के लोगों को नौकरी दी जाय , इसी तरह शिक्षण संस्थानों में भी राज्य के लोगों को बराबर हिस्सेदारी या आरक्षण मिलता है,राष्ट्रपति नागरिक सेवाओं से जुड़े पदों पर नियुक्ति से संबंधित मामलों को निपटाने के लिए हाईकोर्ट से अलग ट्रिब्यूनल बना सकते हैं।
अनुच्छेद 371 E
इसके तहत तहत केंद्र सरकार संसद में कानून बनाकर आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh ) में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना करेगी। ये अनुच्छेद समय के साथ अप्रसांगिक हो गया है यानि इसे हटा दिया गया ।
अनुच्छेद 371 F
इस अनुच्छेद को संविधान में 36वें संशोधन के बाद 1975 में जोड़ा गया जो सिक्किम (Sikkim) राज्य के लिए लागू की गई जिसके तहत राज्य के विधानसभा के प्रतिनिधि मिलकर एक ऐसा प्रतिनिधि चुन सकते हैं जो राज्य के विभिन्न वर्गों के लोगों के अधिकारों और रुचियों का ख्याल रखेंगे,संसद विधानसभा में कुछ सीटें तय कर सकता है, जिसमें विभिन्न वर्गों के ही लोग चुनकर आएंगे,राज्यपाल के पास विशेष अधिकार होते हैं जिसके तहत वे सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए बराबर व्यवस्थाएं किए जा सकें,साथ ही राज्य के विभिन्न वर्गों के विकास के लिए प्रयास करेंगे,राज्यपाल के फैसले पर किसी भी कोर्ट में अपील नहीं की जा सकेगी। इसके अलावा भारत के सभी कानून भी सिक्किम में लागू होंगे।
अनुच्छेद 371 G
1986 में किए गए संविधान के 53वें संशोधन के बाद मिजोरम (Mijoram )के लिए अनुच्छेद 371 G को जोड़ा गया जिसके अंतर्गत भारतीय संसद मिजोरम विधानसभा के अनुमति के बगैर मिजोरम मे कोई भी कानून पास नहीं करवा सकती ।
अनुच्छेद 371 H
1986 में 55वें संविधान संशोधन के बाद अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh ) के लिए यह अनुच्छेद जोड़ा गया। जिसके अनुसार अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल के पास कानून व्यवस्था से जुड़े मसलों पर मंत्रिमंडल से चर्चा करने के बाद अपने विवेकानुसार फैसले लेने का अधिकार होगा,अगर कानून व्यवस्था के किसी मुद्दे पर राज्यपाल और सरकार में मतभेद होंगे तो राज्यपाल का निर्णय ही मान्य होगा।
अनुच्छेद 371 I
यह अनुच्छेद गोवा (Goa) राज्य के लिए बनाया गया कानून था। गोवा आकार में बेहद छोटा था इसलिए इस अनुच्छेद के मुताबिक गोवा की विधानसभा को कम से कम 30 सदस्यों की विधानसभा बनाने का नियम बनाया गया, हालांकि ये भी समय के साथ निरस्त हो गया है।
अनुच्छेद 371 J
2012 में संविधान में किए गए 98वें संशोधन के बाद कर्नाटक (Karnataka )के लिए यह अनुच्छेद बनाया गया। यह अनुच्छेद 371 से मिलता जुलता नियम है,इसके मुताबिक कर्नाटक में हैदराबाद-कर्नाटक के इलाके के लिए एक अलग विकास बोर्ड बनेगा जो हर साल राज्य विधानसभा को अपनी रिपोर्ट देगा। साथ ही यह विकास बोर्ड इलाके के विकास के लिए मिलने वाले राजस्व का वितरण भी समान तौर पर करेगा। साथ ही इलाके के लोगों के लिए शिक्षा और रोजगार के समान मौके प्रदान करेगा। यह बोर्ड किसी भी सरकारी नौकरी में इस इलाके के लोगों के लिए एक अनुपात में आरक्षण की मांग भी कर सकता है और यह व्यवस्था इस इलाके में पैदा हुए लोगों के लिए ही होगी।
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उपर्युक्त सभी अनुच्छेद मे बताए गए कुछ नियमो को समय के साथ कुछ बदलाव भी किए गए है लेकिन भारत के उत्तर पूर्व राज्यों मे पारंपरिक रीतिरिवाजों के लिए बनाए गए नियम आज भी लागू है जहां आप वहाँ रहने वाले जनजातियों के संपत्ति और उनके अधिकारों के खिलाफ नहीं जा सकते ।
दूसरे शब्दों मे ये कहा जा सकता है की अगर आप इन राज्यों मे रहने का ख्याल बना रहें है तो आपको इन अनुच्छेदों का पालन करना होगा और आपको किराए के मकान मे ही रहना होगा क्योंकि इनमे से किसी राज्यों मे आपको जमीन नहीं मिलेगी ।
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