best Hindi quotes of atal bihari vajpayee and top poems of atal ji
दोस्तों भारत ने 16 अगस्त को जो खोया शायद उसे कभी भुला नहीं पायेगा देश का हर नागरिक उनका मुरीद था । भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त 2018 के शाम को निधन हो गया। वह दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में भर्ती थे। 94 साल के अटल जी की हालत पिछले 2 दिनों से गंभीर बनी हुई थी और उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। 
 
अटल जी एक अच्छे राजनेता के साथ-साथ धुरंधर वक्ता भी थे। उन्होंने नेशनल से लेकर इंटरनेशनल मंचों पर हर बार अपने वक्तव्यों का लोहा मनवाया। उनके ऐसे कई Quotes हैं, जो इंसान को सोचने पर मजबूर कर देते हैं, साथ ही निराशा में प्रेरणा का काम करते हैं। 

Atal ji best 5 Quotes

आइए आपको बताते हैं अटल बिहारी वाजपेयी के ऐसे ही 5 प्रेरणादायक Quotes

  • छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता
  • हम यूं ही अपने कीमती संसाधनों को युद्धों में बर्बाद कर रहे हैं, अगर युद्ध करना ही है तो बेरोजगारी, बीमारी, गरीबी और पिछड़ेपन से करना चाहिए
  • आप मित्र बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं
  • हमारी परेशानी कोई बंदूक नहीं बल्कि केवल भाईचारा ही खत्म कर सकता है .
  • कठिन परिश्रम कभी थकान नहीं लाता,वह संतोष लाता है

 

भारत रत्न अटल जी भले ही हमारे बीच नहीं रहें लेकिन उनके द्वारा लिखी कविता और भारतीय राजनीति में उनका योगदान हमेशा याद रहेगा 

अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लिखी कुछ बेहतरीन कविता 

राह कौन सी जाऊँ मैं?

चौराहे पर लुटता चीर
प्यादे से पिट गया वजीर
चलूँ आखिरी चाल कि बाजी छोड़ विरक्ति सजाऊँ?
राह कौन सी जाऊँ मैं?

सपना जन्मा और मर गया
मधु ऋतु में ही बाग झर गया
तिनके टूटे हुये बटोरूँ या नवसृष्टि सजाऊँ मैं?
राह कौन सी जाऊँ मैं?

दो दिन मिले उधार में
घाटों के व्यापार में
क्षण-क्षण का हिसाब लूँ या निधि शेष लुटाऊँ मैं?

राह कौन सी जाऊँ मैं ?

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दूध में दरार पड़ गई

ख़ून क्यों सफ़ेद हो गया?
भेद में अभेद खो गया।
बँट गये शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार दड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।

खेतों में बारूदी गंध,
टूट गये नानक के छंद
सतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है।
वसंत से बहार झड़ गई
दूध में दरार पड़ गई।


आओ फिर से दिया जलाएँ

अपनी ही छाया से बैर,
गले लगने लगे हैं ग़ैर,
ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता।
बात बनाएँ, बिगड़ गई।

दूध में दरार पड़ गई।

आओ फिर से दिया जलाएँ

भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ

हम पड़ाव को समझे मंज़िल

लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्त्तमान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।

आहुति बाकी यज्ञ अधूरा

अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।

आओ फिर से दिया जलाएँ

गीत नया गाता हूँ।

गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर ,
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर,
झरे सब पीले पात,
कोयल की कूक रात,
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं।
गीत नया गाता हूँ।
टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी?
अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी।
हार नहीं मानूँगा,
रार नहीं ठानूँगा,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ।

गीत नया गाता हूँ।

गीत नहीं गाता हूँ।

गीत नहीं गाता हूँ
बेनकाब चेहरे हैं,
दाग बड़े गहरे है,
टूटता तिलस्म , आज सच से भय खाता हूँ।
गीत नहीं गाता हूँ।
लगी कुछ ऐसी नज़र,
बिखरा शीशे सा शहर,
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ।
गीत नहीं गाता हूँ।
पीठ में छुरी सा चाँद,
राहु गया रेख फाँद,
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूँ।

गीत नहीं गाता हूँ।
 

 

 

मणिनीय श्री अटल बिहारी बाजपेयी को सत सत नमन। भारतीय राजनीति का अनमोल रत्न।
वक़्त साथ रहे न रहे किस्मत हमेसा वक़्त के साथ रहती है बाजपेयी रहे न रहे अटल हमेसा बाजपेयी के साथ रहेगी। शायद इसीलिए हर बाजपेयी अटल नही होगा और अटल जैसा कोई राजनीतिज्ञ नही होगा

 

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By Knowledge Panel

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